Friday, April 15, 2022

अपने उद्देश्य को या अपने टारगेट को कैसे प्राप्त करें

            विषय बहुत ही महत्वपूर्ण है ,लगभग सभी विद्यार्थियों और युवाओं के मन मस्तिष्क में ये प्रश्न अक्सर कौंधता रहता है। वे ऐसा कोई सुगम तरीका या रास्ता खोजने की तलाश में रहते हैं जिसके द्वारा उनको सौ प्रतिशत सफलता मिल जाये और वे मनोवांछित परिणामों को प्राप्त कर औरो से आगे निकल जाएँ। रात रात चिंतन करते हैं , विभिन्न लोगों से सफलता के सूत्र जानने का उद्योग करते हैं लेकिन फिर भी सफल नहीं हो पाते।
मैं अभी आपको उस गुप्त फार्मूले को उजागर करने वाला हूँ जिसके प्रयोग से कोई भी व्यक्ति सफलता की जितनी सीढियाँ चढ़ना चाहे आराम से चढ़ सकता है।
आपको मेरी बात सिर्फ सुनना ही नहीं है अपितु तुरंत प्रभाव से उसे लागू भी करना है। अक्सर हम सुनकर तुरंत ये निर्णय ले लेते हैं की कल सुबह ब्रह्म मुहूर्त से में ये पूरे लगन के साथ शुरू करता हूँ किन्तु न वो सुबह आती है और न ही शुभ मुहूरत। इसलिए आपने यदि पूर्व की भांति अपने की सलाह मान ली तो फिर प्लीज मेरे ब्लॉग को तुरंत बंद कर दो और फिर कभी भी इस ब्लॉग पर मत आना।  लेकिन यदि आप आत्मिक रूप से मजबूत हैं और वास्तव में समस्या का समाधान चाहते हैं तो फिर मैं आपकी पूरी सहायता करूँगा -
 

१. सबसे पहले तो आप अपने मन का  अपने आत्मिक मन्दिर  में प्रवेश वर्जित कर दीजिये। मन बड़ा नाटक बाज है,धूर्त है , ठग है ,दुष्ट है ,धोखेबाज है ,बेवफा है ,ये समझ लीजिये की आपका सबसे खतरनाक दुश्मन है अतः आप अभी तक उसके चंगुल में फंसे हुए थे लेकिन ईश्वर की कृपा से आप आज मेरे इस ब्लॉग के माध्यम से उस अवसर को प्राप्त करने जा रहे हैं जो की आपको सफलतम व्यक्ति बनाने की पूरी गारंटी देता है।  तो आपको मन की नहीं अपितु अपनी आत्मा की माननी है।
 

२. अपने आपको एक सैनिक की भांति अनुशासित कीजिये ,यानि जो कार्य करना है बस उसे करना ही है। अक्सर मन के अनुकूल चलने पर हम आलस्य ,हताशा और निराशा से बाहर आ ही नहीं पते या फिर स्वयं को अनुशासन के दायरे से बहुत अलग करके जीने लगते है।  टाइम टेबल तो रोजाना बनाते है ,कुछ पाने के लिए केवल कागजी दौड़धूप भी करते हैं लेकिन मोबाइल या लैपटॉप पर फिर वो सब साधन ढूंढने में व्यस्त हो जाते हैं जिनके द्वारा हम सफल होना चाहते हैं।
     मित्रो ,अनुशासन के बगैर आप एक कदम भी आगे नहीं बढ़ पाएंगे।
 

३. अपने गोल के प्रति प्रबल इच्छाशक्ति उत्पन्न कीजिये। इतनी प्रबल की उसके बाहर आपको संसार में कुछ भी दिखाई न दे। हम अर्जुन का उदाहरण दो खूब देते हैं लेकिन कभी इस बात पर चिंतन नहीं करते की अर्जुन के मस्तिष्क और नेत्रों का अपनी आत्मा के साथ जो सिंक्रोनाइजेशन था वो कैसे प्राप्त करें। अर्जुन की वो दृष्टी हमारे किस काम की , हाँ हमें तो अपनी दॄष्टि को अर्जुन की दृष्टी की भांति बनाना है।  उसके लिए आप अपने लक्ष्य को हमेसा अपने सामने रखें।  सोते जागते ,यहाँ तक की तब आप वाशरूम में होते हैं तब भी आपका लक्ष्य आपके साथ ही होना चाहिए।  
 

४. समय को टाईमटेबल में मत बांधने का प्रयास कीजिये। समय को टाईमटेबल में बांधना सबसे बड़ी मूर्खता के अलावा कुछ भी नहीं। अपने आपको भ्रमित करने का सबसे सरलतम तरीका है। तो फिर क्या करें ?
समय का सदुपयोग कीजिये। यानि आपकी एक सेकंड भी बेकार न जाये।  समय से बड़ा कोई भी धन या संपत्ति नहीं है अतः समय को व्यर्थ में खर्च न करें। समय का तो तुरंत उपयोग करना शुरू कर दीजिये। जब आप समय का उपयोग करना शुरू कर देंगे तो देखना समय आपका इज्जत देना शुरू कर देगा। आपका साथ देना शुरू कर देगा।
 

५. हमेशा सकारात्मक रहिये। नकारात्मक विचार अपने मस्तिष्क में न आने दीजिये। ऐसे मित्रों ,सगे -सम्बन्धियों या रिस्तेदारों से दूरी बना ले जो नेगेटिव हैं।

मित्रों ! अगर आप मेरी बात से सहमत हैं और मेरी बताई टिपस को  वास्तव मैं अपनाना चाहते हैं तो फॉर नीचे कमेन्ट करके बताएं ताकि मैं आगे की कुछ और टिप्स आपको बता सकूँ। आप मुझे मेल कर सकते हैं या फिर मुझे व्हाट्सप्प पर मैसेज दे सकते है।
आज इतना ही।  ........ फिर मिलता हूँ। ........
आपका
प्रोफेसर कृष्ण बीर सिंह
9413970222
professor.kbsingh@gmail.com

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