दरअसल इतिहास को देखते हैं तो ज्ञात होता है की भारत पर समय समय पर जितने भी बाहरी आक्रांताओं की ज्यत्तिया हुयी और हमारे मूल को हमारी आस्था को हमारी संस्कृति और सभ्यता को नष्ट करने की पूरी कोशिश की गयी किन्तु फिर भी क्या कारण रहा की हम जिन्दा हैं और वो मुग़ल जो स्वयं को न जाने क्या मान बैठे थे आज उनका कही भी नामों निशान शेष नहीं है।
आज हमारे राजपूत राजाओं के ख़ानदान और उनके महलों का जीवंत इतिहास हमारे सामने है।
ये सब हमें इस और संकेत करती है की दुष्टों का कभी कोई इतिहास नहीं हुआ करता , सत्यता अमर होती ही है।
Sunday, February 25, 2024
कुछ तो है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी
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