Sunday, April 17, 2022

ECG में सीधी लाइन का अर्थ है Death

        पहले वाले ब्लॉग में आपने पढ़ा होगा-सफलता प्राप्ति हेतु बुनियादी तौर पर क्या करना अनिवार्य है।

    यदि आप मेरी उन बातों से सहमत हैं तो फिर ये ब्लॉग आपको लाभ देगा यदि असहमत हैं तो मुझे नीचे कमेंट बॉक्स में अपनी राय लिखकर असहमति के बिंदुओं को जरूर बताएं।
आज इस कड़ी में मैं आपको की ऑफ़ सक्सेस के समस्त बिंदुओं पर प्रकाश डालूंगा जो अक्सर लोग जानते तो हैं लेकिन वे गलती कहाँ कर रहे होते हैं जिसके कारण वे एक सफल इंसान नहीं बन पाते।
    मैं आपके सामने जो बिंदु रखूँगा शायद उन शब्दों से आप अपरिचित नहीं हैं। आज में उन शब्दों का परिचय नहीं अपितु उन शब्दों की शक्ति और उनका जीवन में व्यवहार कैसे किया जाये ताकि सफलता आपके कदम चूमें।  आइये शुरू करते हैं ---
 

1. विस्तृत चिन्तन -

     हम चिंतन तो जरुरत से ज्यादा ही करने लगे हैं लेकिन सही चिंतन नहीं करते। या फिर जो चीज हमें आकर्षित करती हैं हम सिर्फ उनको शीघ्र प्राप्त करने हेतु चिंतन के बजाये जुगाड़ की व्यवस्था करने की योजना बनाने लगते हैं। ये चिंतन नहीं है। चिंतन में नकारात्मक और सकारात्मक दोनों पहलुओं पर निरपेक्ष रूप से गहनता के साथ विचार किया जाना चाहिए। अर्थ यही है की उलजुलूल के चिंतन के स्थान पर सटीक और पिन पॉइंटेड चिंतन किया जाये तो तो सफलता मिल पायेगी। आपने जो गोल स्वीकार किया है और फिर उसे आपने ही अचीव करने का मानस बनाया है तो फिर एक बार उस निर्धारित गोल के समस्त कोणों को गहनता से देखना और अधिक से अधिक उसके विषय में जानना बहुत ही जरुरी हो जाता है। ये कार्य आपको इसलिए करना चाहिए की आप सौ प्रतिशत अपनी सफलता को सुनिश्चित कर सकें। याद रखिये न तो अति चिंतन करना है और न ही विषय को सरल समझना है। अति सवर्त्र वर्ज़ियते। कमतर आंकलन भी हमें हार की ओर स्वतः ही लेके जाती है।
    अति चिंतन में एक अवगुण ये भी है की बहुत से ऐसे लक्ष्य आपके मस्तिष्क में आते चले जायेंगे जो कंप्यूटर में आये वायरस की भांति आपके मूल विचार या लक्ष्य की फाइल को ख़त्म कर देंगे और आप कब अपने ओरिजिनल उद्देश्य से भटक गए आपको भी पता नहीं चलेगा। परिणामतः आप करना तो कुछ चाह रहे थे लेकिन करने  की योजना कुछ और ही बनाने लग गए। आजके युवा अक्सर इस दुर्घटना का मासूमियत से शिकार हो रहे हैं।
    लक्ष्य की परिधि के बाहर जाकर चिंतन न कीजिये। अपने दायरे में ही रहना होगा।
सबसे महत्व पूर्ण जो आपको करना चाहिए वो ये कि उस चिंतन को लिपिबद्ध कर लीजिये। पेपर पर स्टेप बाई स्टेप लिखते रहें। इससे दो लाभ होंगे - एक तो आप भटकेंगे नहीं। दूसरा -आपका मस्तिष्क वही लिखेगा वो गोल आपने निर्धारित किया है।
    अतः मित्रों ! प्लीज इस पर ध्यान दीजिये क्योकि यदि ये स्टेप आपने ईमानदारी से पूरा कर लिया तो मैं ये दावे के साथ कह सकता हूँ आप सफलता के पथ पर अग्रसर हो चुके हैं।
 

2. सपने बड़े देखो - मगर खुली आँखों से -
    हो सकता है कुछ लोग कहें की हमें पहले सपने देखने चाहिए और बाद में अन्य कार्य करने चाहिए। मैं सहमत नहीं हूँ। कारण , बचपन से हम न चाहते हुए भी सपने देखते आये हैं। जब हमें सपनों का अर्थ भी ज्ञात नहीं था शायद तभी से। लेकिन वो सब हमने किये था बंद आँखों से। नींद की अवस्था में। कहिये अर्द्ध मूर्छित अवस्था में। कोई भी कार्य तब तक सफल नहीं हो सकता जब तक हम अपनी खुली और चौकन्नी आँखों से देखकर न करें। निश्चित रूप से आपको बड़े सपने देखने होंगे मगर शर्त ये ही है खुली आँखों से। जब आपकी आँखे खुली होंगी तो आप आसानी न तो भ्रमित हो पाएंगे और न ही दिशा विहीन अवस्था को प्राप्त होंगे।

3. प्लान,एक्शन,प्ले ---
    तीसरा और अतिमहत्वपूर्ण बिंदु है -प्लान,एक्शन एंड प्ले। अर्थात जब आपके गहन चिंतन कर लिया ,खुली आखों से बड़े बड़े सपने देख लिए और गोल प्राप्ति के प्रति आश्वस्त हो गए तो फिर अब जो प्लान आपने फाइनल किया है उस पर एक्शन लीजिये और उसको प्ले कीजिये। अगर आप विलम्ब करेंगे तो फिर बाहरी वायरस के अटैक भी हो सकते हैं। ध्यान रखियेगा -उतावलेपन में या फिर बहुत अधिक संवेदनशील होकर कोई भी प्लान -एक्शन -और प्ले नहीं करना है। एक्शन और प्ले करना जरुरी इसलिए भी है की हम भटकाव से बच सकें वर्ना हम अपने आपसे या फिर बाहरी रायचन्दों के कारण अपने लक्ष्य को एक झटके में छोड़कर अन्य लक्ष्य की और ताकने लगते हैं और ये सिलसिला अनरवत चलने लगता है।  अतः इस बिंदु पर अपना धयान कीजियेगा तो आपको सफल होने से कोई भी अवरोध रोक नहीं सकेगा।

4. इवैल्यूएशन या रिव्यु - 

    जब आप अपने लक्ष्य की प्राप्ति हेतु पूरी रणनीति बनाकर उसे अमलीजामा पहनाने हेतु एक्शन को प्ले कर देते हैं तो फिर ये भी बहुत महत्वपूर्ण बिंदु है जिस पर आपको बड़ी सजगता के साथ कार्य करना है -मूल्याङ्कन या रिव्यु या इवैल्यूएशन।  अर्थात अपने किर्यान्वित लक्ष्य का निरंतर इवैल्यूएशन ताकि हम ये जान सकें की कही हमारे एक्शन और प्ले में कोई प्रत्यक्ष या परोक्ष त्रुटि तो उत्पन्न नहीं हो गयी या फिर भविष्य में ऐसा तो होने वाला नहीं है।  इससे हम पूर्व में ही सतर्क हो सकते हैं और संभावित नकारात्मकता के विरुद्ध अपना एक्शन ले सकते हैं। कभी भी गलतफैमी का शिकार मत बनिए। ओवर कॉन्फिडेंस असफल  होने का एक जवलंत कारक है। आश्वस्त होना जरुरी है किन्तु अति आश्वश्त होना खतरनाक है।
जब आप स्वयं का  और अपने लक्ष्य का रिव्यु करते रहेंगे तो  आपको सफलता के पथ से कोई भी व्यक्ति डिगा नहीं सकता।

5. एफर्मेशन -

     यानि पुरे विश्वास के साथ ,पूरी दृढ़ता के साथ ,पूरी इच्छाशक्ति के साथ तो कार्य करना ही होगा लेकिन जीवन में सभी प्रकार की परेशानियों का दौर भी चलेगा। काली पीली आंधियां आएँगी। लगभग सभी सफल लोगों के जीवन में ये आंधियां आई हैं यदि आप भी सफलता के रस्ते पर चलोगे तो आपको भी इनका सामना कारण होगा। उस अवस्था में यदि आप सकारात्मक हैं तो आंधियां आपका बाल भी बांका नहीं कर पाएंगी। किन्तु यदि किंचित भी आपमें शातिरता या बेवफाई शेष रह गयी तो आपके पाँव उखड़ सकते हैं। कभी भी झूँठ या दुराव छिपाव का सहारा न लें। अपने साथ और अपने परिवार के साथ स्पष्ट रहें।
मित्रों ,आजके इस ब्लॉग में इतना ही लेकिन अगले ब्लॉग में मैं बात करूँगा की ऊपर जो भी बिंदु बताये हैं उनको स्वीकार को कर लें लेकिन आपकी आंतरिक स्थिति ऐसी बन ही नहीं पाती।  अगले ब्लॉग में मैं आपको बताऊंगा की आपको इसके लिए क्या करना होगा।
अगर आप मेरे से सहमत हैं तो नीचे कमेंट बॉक्स में अपनी राय जरूर लिखें और इस ब्लॉग को अपने बच्चों,रिस्तेदारों और अन्य सोशल मिडिया पर शेयर कीजिये ताकि सभी लोग लाभान्वित हो सकें।
पुनः मिलते है अगले ब्लॉग में तब तक नमस्कार।
 

प्रोफेसर कृष्ण बीर सिंह चौहान,

जयपुर  

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