Saturday, April 30, 2022
श्रीमद्भगवद्गीता: समसामयिक जीवन में प्रासंगिकता और उपयोगिता
Sunday, April 17, 2022
ECG में सीधी लाइन का अर्थ है Death
पहले वाले ब्लॉग में आपने पढ़ा होगा-सफलता प्राप्ति हेतु बुनियादी तौर पर क्या करना अनिवार्य है।
यदि आप मेरी उन बातों से सहमत हैं तो फिर ये ब्लॉग आपको लाभ देगा यदि असहमत हैं तो मुझे नीचे कमेंट बॉक्स में अपनी राय लिखकर असहमति के बिंदुओं को जरूर बताएं।
आज इस कड़ी में मैं आपको की ऑफ़ सक्सेस के समस्त बिंदुओं पर प्रकाश डालूंगा जो अक्सर लोग जानते तो हैं लेकिन वे गलती कहाँ कर रहे होते हैं जिसके कारण वे एक सफल इंसान नहीं बन पाते।
मैं आपके सामने जो बिंदु रखूँगा शायद उन शब्दों से आप अपरिचित नहीं हैं। आज में उन शब्दों का परिचय नहीं अपितु उन शब्दों की शक्ति और उनका जीवन में व्यवहार कैसे किया जाये ताकि सफलता आपके कदम चूमें। आइये शुरू करते हैं ---
1. विस्तृत चिन्तन -
हम चिंतन तो जरुरत से ज्यादा ही करने लगे हैं लेकिन सही चिंतन नहीं करते। या फिर जो चीज हमें आकर्षित करती हैं हम सिर्फ उनको शीघ्र प्राप्त करने हेतु चिंतन के बजाये जुगाड़ की व्यवस्था करने की योजना बनाने लगते हैं। ये चिंतन नहीं है। चिंतन में नकारात्मक और सकारात्मक दोनों पहलुओं पर निरपेक्ष रूप से गहनता के साथ विचार किया जाना चाहिए। अर्थ यही है की उलजुलूल के चिंतन के स्थान पर सटीक और पिन पॉइंटेड चिंतन किया जाये तो तो सफलता मिल पायेगी। आपने जो गोल स्वीकार किया है और फिर उसे आपने ही अचीव करने का मानस बनाया है तो फिर एक बार उस निर्धारित गोल के समस्त कोणों को गहनता से देखना और अधिक से अधिक उसके विषय में जानना बहुत ही जरुरी हो जाता है। ये कार्य आपको इसलिए करना चाहिए की आप सौ प्रतिशत अपनी सफलता को सुनिश्चित कर सकें। याद रखिये न तो अति चिंतन करना है और न ही विषय को सरल समझना है। अति सवर्त्र वर्ज़ियते। कमतर आंकलन भी हमें हार की ओर स्वतः ही लेके जाती है।
अति चिंतन में एक अवगुण ये भी है की बहुत से ऐसे लक्ष्य आपके मस्तिष्क में आते चले जायेंगे जो कंप्यूटर में आये वायरस की भांति आपके मूल विचार या लक्ष्य की फाइल को ख़त्म कर देंगे और आप कब अपने ओरिजिनल उद्देश्य से भटक गए आपको भी पता नहीं चलेगा। परिणामतः आप करना तो कुछ चाह रहे थे लेकिन करने की योजना कुछ और ही बनाने लग गए। आजके युवा अक्सर इस दुर्घटना का मासूमियत से शिकार हो रहे हैं।
लक्ष्य की परिधि के बाहर जाकर चिंतन न कीजिये। अपने दायरे में ही रहना होगा।
सबसे महत्व पूर्ण जो आपको करना चाहिए वो ये कि उस चिंतन को लिपिबद्ध कर लीजिये। पेपर पर स्टेप बाई स्टेप लिखते रहें। इससे दो लाभ होंगे - एक तो आप भटकेंगे नहीं। दूसरा -आपका मस्तिष्क वही लिखेगा वो गोल आपने निर्धारित किया है।
अतः मित्रों ! प्लीज इस पर ध्यान दीजिये क्योकि यदि ये स्टेप आपने ईमानदारी से पूरा कर लिया तो मैं ये दावे के साथ कह सकता हूँ आप सफलता के पथ पर अग्रसर हो चुके हैं।
2. सपने बड़े देखो - मगर खुली आँखों से -
हो सकता है कुछ लोग कहें की हमें पहले सपने देखने चाहिए और बाद में अन्य कार्य करने चाहिए। मैं सहमत नहीं हूँ। कारण , बचपन से हम न चाहते हुए भी सपने देखते आये हैं। जब हमें सपनों का अर्थ भी ज्ञात नहीं था शायद तभी से। लेकिन वो सब हमने किये था बंद आँखों से। नींद की अवस्था में। कहिये अर्द्ध मूर्छित अवस्था में। कोई भी कार्य तब तक सफल नहीं हो सकता जब तक हम अपनी खुली और चौकन्नी आँखों से देखकर न करें। निश्चित रूप से आपको बड़े सपने देखने होंगे मगर शर्त ये ही है खुली आँखों से। जब आपकी आँखे खुली होंगी तो आप आसानी न तो भ्रमित हो पाएंगे और न ही दिशा विहीन अवस्था को प्राप्त होंगे।
3. प्लान,एक्शन,प्ले ---
तीसरा और अतिमहत्वपूर्ण बिंदु है -प्लान,एक्शन एंड प्ले। अर्थात जब आपके गहन चिंतन कर लिया ,खुली आखों से बड़े बड़े सपने देख लिए और गोल प्राप्ति के प्रति आश्वस्त हो गए तो फिर अब जो प्लान आपने फाइनल किया है उस पर एक्शन लीजिये और उसको प्ले कीजिये। अगर आप विलम्ब करेंगे तो फिर बाहरी वायरस के अटैक भी हो सकते हैं। ध्यान रखियेगा -उतावलेपन में या फिर बहुत अधिक संवेदनशील होकर कोई भी प्लान -एक्शन -और प्ले नहीं करना है। एक्शन और प्ले करना जरुरी इसलिए भी है की हम भटकाव से बच सकें वर्ना हम अपने आपसे या फिर बाहरी रायचन्दों के कारण अपने लक्ष्य को एक झटके में छोड़कर अन्य लक्ष्य की और ताकने लगते हैं और ये सिलसिला अनरवत चलने लगता है। अतः इस बिंदु पर अपना धयान कीजियेगा तो आपको सफल होने से कोई भी अवरोध रोक नहीं सकेगा।
4. इवैल्यूएशन या रिव्यु -
जब आप अपने लक्ष्य की प्राप्ति हेतु पूरी रणनीति बनाकर उसे अमलीजामा पहनाने हेतु एक्शन को प्ले कर देते हैं तो फिर ये भी बहुत महत्वपूर्ण बिंदु है जिस पर आपको बड़ी सजगता के साथ कार्य करना है -मूल्याङ्कन या रिव्यु या इवैल्यूएशन। अर्थात अपने किर्यान्वित लक्ष्य का निरंतर इवैल्यूएशन ताकि हम ये जान सकें की कही हमारे एक्शन और प्ले में कोई प्रत्यक्ष या परोक्ष त्रुटि तो उत्पन्न नहीं हो गयी या फिर भविष्य में ऐसा तो होने वाला नहीं है। इससे हम पूर्व में ही सतर्क हो सकते हैं और संभावित नकारात्मकता के विरुद्ध अपना एक्शन ले सकते हैं। कभी भी गलतफैमी का शिकार मत बनिए। ओवर कॉन्फिडेंस असफल होने का एक जवलंत कारक है। आश्वस्त होना जरुरी है किन्तु अति आश्वश्त होना खतरनाक है।
जब आप स्वयं का और अपने लक्ष्य का रिव्यु करते रहेंगे तो आपको सफलता के पथ से कोई भी व्यक्ति डिगा नहीं सकता।
5. एफर्मेशन -
यानि पुरे विश्वास के साथ ,पूरी दृढ़ता के साथ ,पूरी इच्छाशक्ति के साथ तो कार्य करना ही होगा लेकिन जीवन में सभी प्रकार की परेशानियों का दौर भी चलेगा। काली पीली आंधियां आएँगी। लगभग सभी सफल लोगों के जीवन में ये आंधियां आई हैं यदि आप भी सफलता के रस्ते पर चलोगे तो आपको भी इनका सामना कारण होगा। उस अवस्था में यदि आप सकारात्मक हैं तो आंधियां आपका बाल भी बांका नहीं कर पाएंगी। किन्तु यदि किंचित भी आपमें शातिरता या बेवफाई शेष रह गयी तो आपके पाँव उखड़ सकते हैं। कभी भी झूँठ या दुराव छिपाव का सहारा न लें। अपने साथ और अपने परिवार के साथ स्पष्ट रहें।
मित्रों ,आजके इस ब्लॉग में इतना ही लेकिन अगले ब्लॉग में मैं बात करूँगा की ऊपर जो भी बिंदु बताये हैं उनको स्वीकार को कर लें लेकिन आपकी आंतरिक स्थिति ऐसी बन ही नहीं पाती। अगले ब्लॉग में मैं आपको बताऊंगा की आपको इसके लिए क्या करना होगा।
अगर आप मेरे से सहमत हैं तो नीचे कमेंट बॉक्स में अपनी राय जरूर लिखें और इस ब्लॉग को अपने बच्चों,रिस्तेदारों और अन्य सोशल मिडिया पर शेयर कीजिये ताकि सभी लोग लाभान्वित हो सकें।
पुनः मिलते है अगले ब्लॉग में तब तक नमस्कार।
प्रोफेसर कृष्ण बीर सिंह चौहान,
In ECG straight line means death
Professor
Krishna Bir Singh Chauhan,
Jaipur
Friday, April 15, 2022
अपने उद्देश्य को या अपने टारगेट को कैसे प्राप्त करें
विषय बहुत ही महत्वपूर्ण है ,लगभग सभी विद्यार्थियों और युवाओं के मन मस्तिष्क में ये प्रश्न अक्सर कौंधता रहता है। वे ऐसा कोई सुगम तरीका या रास्ता खोजने की तलाश में रहते हैं जिसके द्वारा उनको सौ प्रतिशत सफलता मिल जाये और वे मनोवांछित परिणामों को प्राप्त कर औरो से आगे निकल जाएँ। रात रात चिंतन करते हैं , विभिन्न लोगों से सफलता के सूत्र जानने का उद्योग करते हैं लेकिन फिर भी सफल नहीं हो पाते।
मैं अभी आपको उस गुप्त फार्मूले को उजागर करने वाला हूँ जिसके प्रयोग से कोई भी व्यक्ति सफलता की जितनी सीढियाँ चढ़ना चाहे आराम से चढ़ सकता है।
आपको मेरी बात सिर्फ सुनना ही नहीं है अपितु तुरंत प्रभाव से उसे लागू भी करना है। अक्सर हम सुनकर तुरंत ये निर्णय ले लेते हैं की कल सुबह ब्रह्म मुहूर्त से में ये पूरे लगन के साथ शुरू करता हूँ किन्तु न वो सुबह आती है और न ही शुभ मुहूरत। इसलिए आपने यदि पूर्व की भांति अपने की सलाह मान ली तो फिर प्लीज मेरे ब्लॉग को तुरंत बंद कर दो और फिर कभी भी इस ब्लॉग पर मत आना। लेकिन यदि आप आत्मिक रूप से मजबूत हैं और वास्तव में समस्या का समाधान चाहते हैं तो फिर मैं आपकी पूरी सहायता करूँगा -
१. सबसे पहले तो आप अपने मन का अपने आत्मिक मन्दिर में प्रवेश वर्जित कर दीजिये। मन बड़ा नाटक बाज है,धूर्त है , ठग है ,दुष्ट है ,धोखेबाज है ,बेवफा है ,ये समझ लीजिये की आपका सबसे खतरनाक दुश्मन है अतः आप अभी तक उसके चंगुल में फंसे हुए थे लेकिन ईश्वर की कृपा से आप आज मेरे इस ब्लॉग के माध्यम से उस अवसर को प्राप्त करने जा रहे हैं जो की आपको सफलतम व्यक्ति बनाने की पूरी गारंटी देता है। तो आपको मन की नहीं अपितु अपनी आत्मा की माननी है।
२. अपने आपको एक सैनिक की भांति अनुशासित कीजिये ,यानि जो कार्य करना है बस उसे करना ही है। अक्सर मन के अनुकूल चलने पर हम आलस्य ,हताशा और निराशा से बाहर आ ही नहीं पते या फिर स्वयं को अनुशासन के दायरे से बहुत अलग करके जीने लगते है। टाइम टेबल तो रोजाना बनाते है ,कुछ पाने के लिए केवल कागजी दौड़धूप भी करते हैं लेकिन मोबाइल या लैपटॉप पर फिर वो सब साधन ढूंढने में व्यस्त हो जाते हैं जिनके द्वारा हम सफल होना चाहते हैं।
मित्रो ,अनुशासन के बगैर आप एक कदम भी आगे नहीं बढ़ पाएंगे।
३. अपने गोल के प्रति प्रबल इच्छाशक्ति उत्पन्न कीजिये। इतनी प्रबल की उसके बाहर आपको संसार में कुछ भी दिखाई न दे। हम अर्जुन का उदाहरण दो खूब देते हैं लेकिन कभी इस बात पर चिंतन नहीं करते की अर्जुन के मस्तिष्क और नेत्रों का अपनी आत्मा के साथ जो सिंक्रोनाइजेशन था वो कैसे प्राप्त करें। अर्जुन की वो दृष्टी हमारे किस काम की , हाँ हमें तो अपनी दॄष्टि को अर्जुन की दृष्टी की भांति बनाना है। उसके लिए आप अपने लक्ष्य को हमेसा अपने सामने रखें। सोते जागते ,यहाँ तक की तब आप वाशरूम में होते हैं तब भी आपका लक्ष्य आपके साथ ही होना चाहिए।
४. समय को टाईमटेबल में मत बांधने का प्रयास कीजिये। समय को टाईमटेबल में बांधना सबसे बड़ी मूर्खता के अलावा कुछ भी नहीं। अपने आपको भ्रमित करने का सबसे सरलतम तरीका है। तो फिर क्या करें ?
समय का सदुपयोग कीजिये। यानि आपकी एक सेकंड भी बेकार न जाये। समय से बड़ा कोई भी धन या संपत्ति नहीं है अतः समय को व्यर्थ में खर्च न करें। समय का तो तुरंत उपयोग करना शुरू कर दीजिये। जब आप समय का उपयोग करना शुरू कर देंगे तो देखना समय आपका इज्जत देना शुरू कर देगा। आपका साथ देना शुरू कर देगा।
५. हमेशा सकारात्मक रहिये। नकारात्मक विचार अपने मस्तिष्क में न आने दीजिये। ऐसे मित्रों ,सगे -सम्बन्धियों या रिस्तेदारों से दूरी बना ले जो नेगेटिव हैं।
मित्रों ! अगर आप मेरी बात से सहमत हैं और मेरी बताई टिपस को वास्तव मैं अपनाना चाहते हैं तो फॉर नीचे कमेन्ट करके बताएं ताकि मैं आगे की कुछ और टिप्स आपको बता सकूँ। आप मुझे मेल कर सकते हैं या फिर मुझे व्हाट्सप्प पर मैसेज दे सकते है।
आज इतना ही। ........ फिर मिलता हूँ। ........
आपका
प्रोफेसर कृष्ण बीर सिंह
9413970222
professor.kbsingh@gmail.com
How to achieve your objective or your goal
Right now I am going to reveal to you the secret formula, using which any person can easily climb as many stairs of success as he wants. You not only have to listen to me but also implement it with immediate effect. Often we take this decision after hearing that tomorrow morning from Brahma Muhurta I start it with full dedication but neither morning nor auspicious time comes.
Therefore, if you have accepted your advice as before, then please close my blog immediately and never come to this blog again. But if you are spiritually strong and really want to solve the problem then I will do my best to help you -
1. First of all, you should bar your mind from entering your spiritual temple. Mind is a big drama hawk, sly, thug, wicked, deceitful, unfaithful, understand that you are your most dangerous enemy, so you were still trapped in its clutches, but by the grace of God, you are in my blog today.
Through this you are going to get that opportunity which is absolutely guaranteed to make you the most successful person. So you have to believe not of the mind but of your soul.
2. Discipline yourself like a soldier, that is, the work that has to be done has to be done. Often, when we walk according to the mind, we do not come out of laziness, frustration and despair or we start living ourselves very far from the realm of discipline. Time tables are made daily, to get something, they also do paperwork, but on mobile or laptop, then they get busy in finding all the means by which we want to be successful. Friends, without discipline you will not be able to move even a step forward.
3. Build strong willpower towards your goal. So strong that outside it you cannot see anything in the world. We give two examples of Arjuna but never think about how to achieve the synchronization of Arjuna's mind and eyes with his soul. What is the use of Arjuna's vision for us, yes we have to make our vision like that of Arjuna. For that, you should always keep your goal in front of you. Waking up to sleep, even when you are in the washroom, your goal should be with you.
4. Try not to tie the time in the time table. Binding time in a timetable is nothing but the biggest foolishness. The easiest way is to confuse yourself. Then what to do? Make good use of the time. That means not a single second of yours should be wasted. There is no wealth or wealth greater than time, so do not waste time in vain. Start utilizing the time immediately. When you start using time, watching time will start respecting you. Will start supporting you.
5. Always be positive. Don't let negative thoughts enter your mind. Keep distance from such friends, relatives who are negative. friends! If you agree with me and I really want to adopt the tips given by me, then do comment below so that I can tell you some more tips. You can mail me or message me on whatsapp. That's all today. ....... I'll see you again. ,
Yours
Professor Krishna Bir Singh
9413970222
professor.kbsingh@gmail.com
Wednesday, April 13, 2022
सफलता के सूत्र
रतन टाटा का नाम कौन नहीं जनता ? लेकिन क्या आप जानते हैं रतन को रतन टाटा बनने के लिए क्या क्या करना पड़ा ? रतन टाटा एक खुद्दार किस्म के सच्चे हिंदुस्तानी हैं। उन्होंने होटल में बर्तन साफ़ करने से लेकर और भी बहुत से छोटे मोटे कार्य अपने जीवन में किये है तब जाकर वो आज हमारे सामने रतन टाटा के रूप में हैं।
रतन टाटा कहते हैं -
"लोहे को कोई भी वस्तु समाप्त नहीं कर सकती लेकिन उसकी खुद की जंग ही उसका अस्तित्व समाप्त कर देती है। "
आज मैं आपके साथ कुछ वो ही चर्चा करने वाला हूँ जो आपकी सफलता के रस्ते में रोड़ा बनकर खड़े हो गए हैं।
शायद ही कोई इन्सान हो जो अपने जीवन में सफलता को पाना नहीं चाहता हो। कुछ लोगों को ये कहते हए भी सुना होगा की हम मेहनत तो खूब करते हैं लेकिन न जाने हम सफल क्यों नहीं हो पाते।
या फिर कुछ लोग सिस्टम को ,समाज को ,परम्पराओं को भी कोसने लगते हैं। लेकिन ये सब हताशा का ही प्रदर्शन है। वास्तव में हम अपनी मूल गलतियों को या तो जानते नहीं हैं या फिर जानकर भी हम उस पथ पर चलने के लिए बहाने बना कर टालमटोल करते हुए वो रास्ता इख्तियार कर लेते हैं जो हमें शारीरिक और मानसिक सुकून देता है। घर ,परिवार व् अन्य लोगों को लगता है की आप बहुत मेहनत कर रहे हैं।
आज में सिर्फ आपको चेतावनी के साथ ये कहने आया हूँ कि सबसे घातक स्थिति वो होती है जब व्यक्ति खुद को ही भ्रमित करके सफल होने के संगीन सपने देखने लगे।
मित्रों , अगर आप सफलता की सीढ़ी या वे कारगर विधियां जानना चाहते हैं जिनको यदि आपने अपना लिया तो फिर नीचे कमेन्ट करके बताएं ताकि मैं आपके साथ बहुत ही विस्तृत रूप से उन तमाम बिंदुओं पर चर्चा करूँ और आपको सफलता के सूत्र बताऊँ। आप मुझे मेरे
आप मुझे मेरी इस मेल पर भी सूचित कर सकते हैं
success formula
Who does not know the name of Ratan Tata? But do you know what Ratan had to do to become Ratan Tata? Ratan Tata is a sincere kind of true Hindustani. He has done many small tasks in his life from cleaning utensils in the hotel, then he is in front of us today in the form of Ratan Tata.
Ratan Tata says -
"Nothing can destroy iron, but its own rust destroys its existence."
Today I am going to discuss with you only those things which have stood as an obstacle in the way of your success. There is hardly any person who does not want to achieve success in his life. You must have heard some people saying that we work hard but don't know why we are not able to succeed. Or some people start cursing the system, society, traditions also.
But all this is just a display of desperation. In fact, we either do not know our original mistakes or even knowing that, we avoid making excuses to walk on that path and adopt the path which gives us physical and mental comfort. Home, family and other people feel that you are working very hard.
Today I have come to tell you only with a warning that the most fatal situation is when a person starts dreaming of being successful by confusing himself.
Friends, if you want to know the steps to success or those effective methods, which if you have adopted, then tell me by commenting below so that I can discuss all those points in very detail with you and tell you the formulas of success.
You can also inform me on this mail- professor.kbsingh@gmail.com
Friday, April 8, 2022
व्यक्तित्व विकास के सन्दर्भ में- बौद्धिक ज्ञान मीमांसा दर्शन और जीवन In the context of personality development - intellectual epistemology, philosophy and life
दर्शन के प्रति प्रेम एक बेहतर जीवन की ओर ले जाता है। शायद आपको कुछ अंदाजा है कि आपके लिए क्या महत्वपूर्ण है, क्या आपने कभी ऐसा बयान दिया है जो इसे सारांशित करता है? आप एक लक्ष्य की दिशा में काम करने के लिए दैनिक विकल्प चुनते हैं। छोटे लक्ष्य आपके दिनों का मार्गदर्शन करते हैं, जबकि दीर्घकालिक लक्ष्य आपके जीवन के महीनों और वर्षों का मार्गदर्शन करते हैं। वे सभी लक्ष्य आपके मूल मूल्यों पर आधारित होते हैं, जो आपके द्वारा जीने वाले नियमों को निर्धारित करते हैं। उन नियमों को आपके व्यक्तिगत दर्शन के रूप में जाना जाता है। इनमें से कुछ दर्शन आपके धर्म या संस्कृति से जुड़े हो सकते हैं, लेकिन दर्शन उन ढांचे के भीतर भी एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में भिन्न होते हैं। दर्शन क्या है? प्रश्न अपने आप में एक दार्शनिक प्रश्न है। दर्शन तर्क और कारण को लागू करने के माध्यम से ज्ञान की खोज है। सुकरात ने दावा किया कि इस तरह का ज्ञान पर्यावरण के साथ बातचीत के माध्यम से प्राप्त किया जा सकता है। सुकरात ने, विशेष रूप से, यह प्रदर्शित किया कि दर्शन विषयों की खोज से संबंधित है, हालांकि इस तरह के अन्वेषण ने शायद ही कभी इस विषय के बारे में ज्ञान बनाया हो। प्लेटो के सुकराती संवाद बताते हैं कि दर्शन आत्म-परीक्षण है, अस्तित्व की अन्य विशेषताओं की जांच करना और ज्ञान की सीमाओं की स्वीकृति है। सामान्य परिभाषा दर्शनशास्त्र यह है कि यह ज्ञान, सत्य और ज्ञान की खोज है। दरअसल, ग्रीक में इस शब्द का अर्थ ही 'ज्ञान का प्रेम' होता है। दार्शनिक चिंतन वर्तमान और भूतकाल के सभी भागों में पाया जाता है। यदि आपने कभी सोचा है कि क्या ईश्वर का अस्तित्व है, क्या जीवन का उद्देश्य है, क्या सुंदरता देखने वाले की नजर में है, जो कार्यों को सही या गलत बनाता है, या कानून उचित है या न्यायपूर्ण है, तो आपने दर्शन के बारे में सोचा है। और ये केवल कुछ दार्शनिक विषय हैं। मानव संघर्षों को हल करने की बुद्धि, नेतृत्व और क्षमता की गारंटी किसी भी अध्ययन पाठ्यक्रम द्वारा नहीं दी जा सकती है; लेकिन दर्शन ने परंपरागत रूप से इन आदर्शों का व्यवस्थित रूप से अनुसरण किया है, और इसके तरीके, इसका साहित्य और इसके विचार उन्हें साकार करने की खोज में निरंतर उपयोग में हैं। ध्वनि तर्क, आलोचनात्मक सोच, अच्छी तरह से निर्मित गद्य, निर्णय की परिपक्वता, प्रासंगिकता की एक मजबूत भावना और एक प्रबुद्ध चेतना कभी अप्रचलित नहीं होती है, न ही वे बाजार की उतार-चढ़ाव वाली मांगों के अधीन हैं। दर्शनशास्त्र का अध्ययन छात्रों को इन गुणों को पूरी तरह विकसित करने की अनुमति देता है। “आपका व्यक्तिगत दर्शन क्या है?” क्या आप उन्हें जवाब देना जानते होंगे? आप एक लक्ष्य की दिशा में काम करने के लिए दैनिक विकल्प चुनते हैं। छोटे लक्ष्य आपके दिनों का मार्गदर्शन करते हैं, जबकि दीर्घकालिक लक्ष्य आपके जीवन के महीनों और वर्षों का मार्गदर्शन करते हैं। वे सभी लक्ष्य आपके मूल मूल्यों पर आधारित होते हैं, जो आपके द्वारा जीने वाले नियमों को निर्धारित करते हैं। समस्या-समाधान, विश्लेषणात्मक, निर्णयात्मक और संश्लेषण क्षमता का दर्शन विकसित होता है जो उनके दायरे में अप्रतिबंधित और उनकी उपयोगिता में असीमित है। यह दर्शन को नेतृत्व, जिम्मेदारी या प्रबंधन के पदों के लिए विशेष रूप से अच्छी तैयारी बनाता है। दर्शनशास्त्र में एक प्रमुख या नाबालिग को लगभग किसी भी प्रवेश-स्तर की नौकरी के लिए आवश्यकताओं के साथ आसानी से एकीकृत किया जा सकता है; लेकिन दार्शनिक प्रशिक्षण, विशेष रूप से कई हस्तांतरणीय कौशल के विकास में, कैरियर की उन्नति में इसके दीर्घकालिक लाभों के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। यूथिफ्रो में, प्लेटो ने सुकरात के संवादों के माध्यम से दर्शन की प्रकृति का खुलासा किया क्योंकि वह भ्रष्ट युवकों के खिलाफ मुकदमे का सामना करने जाता है। सुकरात ने यूथिफ्रो से पूछा कि क्या वह ईश्वरीय चीजों को इतना समझता है कि वह अपने पिता पर दुष्ट काम करने का आरोप लगा सके । वह आगे बढ़ता है और यूथिफ्रो को उसके लिए पवित्र परिभाषित करने की हिम्मत करता है, ताकि वह इसे अपने बचाव में लागू कर सके। यूथिफ्रो ने उसे जवाब दिया कि पवित्र न्याय की तलाश में है। वर्तमान विश्व में दार्शनिक आम तौर पर ऐसे प्रश्नों पर विचार करता है जो कुछ अर्थों में व्यापक और अन्य पूछताछ करने वालों की तुलना में मौलिक हैं, उदाहरण के लिए, भौतिक विज्ञानी पूछते हैं कि किसी घटना का कारण क्या है, दार्शनिक पूछते हैं कि क्या कार्य-कारण भी मौजूद है, इतिहासकार उन आंकड़ों का अध्ययन करते हैं जो न्याय के लिए लड़े थे, दार्शनिक पूछते हैं कि क्या न्याय है या क्या उनके कारण वास्तव में न्यायसंगत थे। दार्शनिकता का अर्थ है दार्शनिक रूप से या केवल गहराई से और चिंतनपूर्वक सोचना। एक लंबी कार यात्रा पर, जब आप स्कूल की गपशप से बाहर निकलते हैं, तो आप और आपके मित्र मनुष्य के स्वभाव पर विचार कर सकते हैं, या प्रश्न "सौंदर्य क्या है?" फिलॉसॉफाइज करना बिल्कुल फिलॉसफी करने के समान नहीं है। दार्शनिकता वास्तविकता पर एक तरह का प्रवचन है; यह अनिवार्य रूप से वास्तविकता के प्रति मनुष्य के खुलेपन के साथ जुड़ा हुआ है जिसे मौखिक रूप से व्यक्त किया जा रहा है। यह मौखिककरण कभी भी वास्तविकता से मेल नहीं खाता है, क्योंकि सभी दार्शनिक प्रवचन में एक स्थिति, एक दूरी लेना शामिल है, और इसलिए अनिवार्य रूप से संवाद है दर्शन का अध्ययन व्यक्ति की समस्या-समाधान क्षमता को बढ़ाता है। यह हमें अवधारणाओं, परिभाषाओं, तर्कों और समस्याओं का विश्लेषण करने में मदद करता है। यह विचारों और मुद्दों को व्यवस्थित करने, मूल्य के सवालों से निपटने और बड़ी मात्रा में जानकारी से जो आवश्यक है उसे निकालने की हमारी क्षमता में योगदान देता है। एक पल के लिए रुकें और उन सभी सवालों के बारे में सोचें जो आपके मन में हैं, जब आप अपने घर के ऊपर उस तारे से भरे विशाल शून्य को देखते हैं। उस समय के बारे में सोचें जब आप उन प्रश्नों में बहुत समय व्यतीत करते हैं ताकि आप कहीं नहीं पहुंच सकें और फिर अपने आप से कह सकें कि हो सकता है कि उस समय आपके प्रश्नों का उत्तर न हो। आपके बारे में निश्चित नहीं है, लेकिन यह निश्चित रूप से मेरे साथ होता है। मैंने इस उदाहरण को केवल यह समझाने के लिए लिया है कि एक तरह से या किसी अन्य रूप में हम सभी दर्शन करते हैं, यह हम में से हर एक को नहीं मिलता है या बिल्कुल समझ में नहीं आता है कि वे क्या सोच रहे हैं या इसे बेकार, समय और ऊर्जा की बर्बादी के रूप में सोचते हैं। दर्शन के विषय में, हम सीखते हैं कि हम अपने विचारों को कैसे वर्गीकृत कर सकते हैं या हम प्रश्नों को दर्शनशास्त्र की शाखाओं में कह सकते हैं और जब हम ऐसा करते हैं, तो हम सीख सकते हैं कि किसी विशेष शाखा से कैसे संपर्क किया जाए; हमें विभिन्न परिसरों का निर्माण कैसे करना चाहिए और इन परिसरों की वैधता को कैसे सत्यापित करना चाहिए और ऐसा करके ही हम एक स्वीकार्य निष्कर्ष निकाल सकते हैं। यह हमें यह भी सिखाता है कि हमारे दर्शन को भी आलोचना की आवश्यकता है, क्योंकि विचार तथ्य नहीं हैं, हो सकता है कि आप कुछ महत्वपूर्ण याद कर रहे हों। एपिस्टेमोलॉजी- दर्शनशास्त्र की एक शाखा जो मानव ज्ञान की उत्पत्ति, प्रकृति, विधियों और सीमाओं की जांच करती है, तत्वमीमांसा- दर्शनशास्त्र की शाखा जो पहले सिद्धांतों का व्यवहार करती है, इसमें ऑन्कोलॉजी और ब्रह्मांड विज्ञान शामिल हैं, और यह महामारी विज्ञान के साथ घनिष्ठ रूप से जुड़ा हुआ है। रूपों का सिद्धांत-इस विचार पर जोर देता है कि संवेदना के माध्यम से हमें ज्ञात परिवर्तन की भौतिक दुनिया के रूप/विचारों में उच्चतम और सबसे मौलिक प्रकार की वास्तविकता होती है। कार्टेशियन संदेह- रेने डेसकार्टेस के लेखन और कार्यप्रणाली से जुड़े दार्शनिक संदेह का एक रूप, जो संदेह को उन चीजों को ढूंढकर कुछ ज्ञान के मार्ग के रूप में उपयोग करता है जिन पर संदेह नहीं किया जा सकता है। यथार्थवाद- यह सिद्धांत कि सार्वभौमिकों का वास्तविक उद्देश्य अस्तित्व होता है। सापेक्षवाद- एक सिद्धांत है कि सत्य और नैतिक मूल्यों की अवधारणाएं निरपेक्ष नहीं हैं बल्कि उन्हें धारण करने वाले व्यक्तियों या समूहों के सापेक्ष हैं। बहुलवाद- एक सिद्धांत है कि एक से अधिक मूल पदार्थ या सिद्धांत हैं। पितृत्ववाद- एक पिता द्वारा अपने बच्चों के साथ परोपकारी और अक्सर दखल देने के तरीके में व्यक्तियों के प्रबंधन या शासन की प्रणाली "हम दर्शन नहीं सीखते हैं, हम दर्शन करना सीखते हैं" । आलोचना को गले लगाना और अपने नए और अधिक परिष्कृत विचारों के साथ इसे शामिल करना एक बहुत ही महत्वपूर्ण बात है। जैसा कि हम दर्शन के बारे में सीखते हैं, हम सीखते हैं कि अपने दिमाग को कैसे खुला रखना है, और यह पता चल सकता है कि आप कितने काम करने में सक्षम हैं और आप खुश रह सकते हैं। जब हम दर्शनशास्त्र का अध्ययन करते हैं, तो हमें पता चलता है कि यह केवल एक विषय नहीं है; यह कौशल का एक समूह है जिसमें गंभीर रूप से सोचना, मान्य करना, तर्क करना, संचार और ज्ञान शामिल है। मुद्दा यह है कि हम सभी दिशाओं में एक पटाखा के रूप में दर्शन करते हैं, लेकिन व्यर्थ। और तभी दर्शन का विषय आता है, अपने विचारों को एक गोली की तरह दिशा देने के लिए और आपको गंभीर रूप से सोचने के लिए ताकि आप बुलेट को सटीकता दे सकें ताकि यह बुल्स-आई पर लगे। सुकरात ने उन लोगों को अपने उत्तरों के माध्यम से दर्शन के मूल्य को प्रदर्शित किया जो सोचते हैं कि उन्हें दूसरों की जांच करने की प्रथा को बंद कर देना चाहिए और एथेंस छोड़ देना चाहिए। "... लेकिन क्या आप अपनी जीभ पकड़ सकते हैं और फिर आप एक विदेशी शहर में जा सकते हैं और कोई भी आपके साथ हस्तक्षेप नहीं करेगा? .... और अगर मैं फिर से कहता हूं कि प्रतिदिन सद्गुण, और उन अन्य चीजों के बारे में जिनके बारे में आप मुझे सुनते हैं स्वयं की और दूसरों की जांच करना, मनुष्य का सबसे बड़ा भला है और यह कि बिना जांचे-परखे जीवन जीने योग्य नहीं है।" (प्लेटो 39) सुकरात बताते हैं कि हमारे समाज में इतनी महत्वपूर्ण चीज की कमी है, क्योंकि हम केवल तत्काल संतुष्टि पर ध्यान केंद्रित करते हैं और मुद्दों के बारे में गहराई से सोचने में असफल होते हैं। वह बताते हैं कि बहुत से लोग दार्शनिक मुद्दों की उपेक्षा करते हैं और उन्हें समय की बर्बादी मानते हैं क्योंकि वे उन प्रश्नों के समाधान प्रदान करने पर ध्यान केंद्रित करते हैं जिनके उत्तर नहीं हो सकते। फिर भी, क्या यह विरोधाभास नहीं है कि जब वह सोचता है कि उनके पास उत्तर नहीं हो सकते हैं तो वह प्रश्न करता है? दर्शनशास्त्र के उपक्षेत्र दर्शन के व्यापक उपक्षेत्रों को आमतौर पर तर्क, नैतिकता, तत्वमीमांसा, ज्ञानमीमांसा और दर्शन का इतिहास माना जाता है। यहाँ प्रत्येक का एक संक्षिप्त स्केच है। तर्क तर्क का संबंध अच्छे और बुरे तर्क में भेद करने के लिए ठोस तरीके प्रदान करना है। यह हमें यह आकलन करने में मदद करता है कि हमारे परिसर हमारे निष्कर्षों का कितनी अच्छी तरह समर्थन करते हैं, यह देखने के लिए कि हम क्या स्वीकार करने के लिए प्रतिबद्ध हैं जब हम एक विचार लेते हैं, और उन विश्वासों को अपनाने से बचने के लिए जिनके लिए हमारे पास पर्याप्त कारण नहीं हैं। तर्क हमें उन तर्कों को खोजने में भी मदद करता है जहां हम अन्यथा केवल ढीले से संबंधित बयानों का एक सेट देख सकते हैं, उन धारणाओं की खोज करने के लिए जिन्हें हम नहीं जानते थे कि हम बना रहे थे, और न्यूनतम दावों को तैयार करने के लिए हमें स्थापित करना होगा यदि हमें साबित करना है (या अनिवार्य रूप से समर्थन) हमारी बात। नीति नैतिकता हमारी नैतिक अवधारणाओं का अर्थ लेती है - जैसे कि सही कार्रवाई, दायित्व और न्याय - और नैतिक निर्णयों को निर्देशित करने के लिए सिद्धांत तैयार करता है, चाहे वह निजी या सार्वजनिक जीवन में हो। दूसरों के प्रति हमारे नैतिक दायित्व क्या हैं? नैतिक असहमति को तर्कसंगत रूप से कैसे सुलझाया जा सकता है? एक न्यायपूर्ण समाज को अपने नागरिकों को कौन से अधिकार प्रदान करने चाहिए? गलत काम करने का एक वैध बहाना क्या है? तत्त्वमीमांसा तत्वमीमांसा यह निर्धारित करने के लिए बुनियादी मानदंड तलाशती है कि किस प्रकार की चीजें वास्तविक हैं। उदाहरण के लिए, क्या मानसिक, भौतिक और अमूर्त चीजें (जैसे संख्याएं) हैं, या केवल भौतिक और आध्यात्मिक हैं, या केवल पदार्थ और ऊर्जा हैं? क्या व्यक्ति अत्यधिक जटिल भौतिक प्रणालियाँ हैं, या क्या उनके पास ऐसे गुण हैं जो किसी भी भौतिक वस्तु को कम करने योग्य नहीं हैं? ज्ञानमीमांसा ज्ञानमीमांसा ज्ञान की प्रकृति और दायरे से संबंधित है। (सत्य) जानने का क्या अर्थ है, और सत्य का स्वरूप क्या है? किस तरह की चीजों को जाना जा सकता है, और क्या हम अपने विश्वासों में न्यायसंगत हो सकते हैं जो हमारी इंद्रियों के सबूत से परे है, जैसे कि दूसरों के आंतरिक जीवन या दूर के अतीत की घटनाएं? क्या ज्ञान विज्ञान की पहुंच से बाहर है? आत्म-ज्ञान की सीमा पर हैं? –संदर्भ - 1. https://philosophy-question.com/ 2. https://eric.ed.gov/ 3. https://en.m.wikipedia.org/wiki/Glossary_of_philosophy 4. http://www.jimpryor.net/teaching/vocab/
-
Right to information Transparency, accountability, sensitivity and accountability are the components that set the ideal paradigm for t...
-
1.Introduction Human capital is an important determinant of technological progress and economic growth of a country...
-
पहले वाले ब्लॉग में आपने पढ़ा होगा-सफलता प्राप्ति हेतु बुनियादी तौर पर क्या करना अनिवार्य है। यदि आप मेरी उन बातों से सहमत हैं...